Saturday, October 24, 2009

भारत में सिनेमा


फिल्‍म प्रभाग

1943 में स्‍थापित 'इंडियन न्‍यू परेड' तथा 'इंफॉर्मेशन फिल्‍म्‍स ऑफ इंडिया' का पुन: नामकरण कर जनवरी, 1948 में फिल्‍म प्रभाग का गठन किया गया। सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1918 का 1952 में भारतीयकरण किया गया जिसके तहत् वृत्तचित्र फिल्‍मों का पूरे देश में प्रदर्शन करना अनिवार्य कर दिया गया

फिल्‍म प्रभाग, 1949 में देश भर के थियेटरों में 15 राष्‍ट्रीय भाषाओं में हर शुक्रवार को एक वृत्‍तचित्र या एनिमेशन फिल्‍म या समाचार आधारित फिल्‍म जारी करता है। प्रभाग ने वस्‍तुत: स्‍वतंत्रता पश्‍चात का पूरा इतिहास तैयार किया है। इसका मुख्‍यालय मुंबई में है। यह निर्माण, स्‍टूडियो, रिकॉर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष, एनिमेशन एकक, कैमरे, वीडियो सेटअप, पूर्व दर्शन थियेटर जैसी सुविधाओं से लैस है। प्रभाग 15 भारतीय भाषाओं में फिल्‍मों की डबिंग भी स्‍वयं करता है।

फिल्‍म प्रभाग की कहानी स्‍वतंत्रता के समय से देश के घटनापूर्ण समय के साथ तालमेल रखती है और यह 60 वर्ष से अधिक पुरानी है। यह प्रभाग भारतीय जनता के व्‍यापक भाग को राष्‍ट्र निर्माण की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की सूची बनाने के विचार से प्रेरित करता आया है। इस प्रभाग के लक्ष्‍य और उद्देश्‍य राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍यों पर केन्द्रित है और ये राष्‍ट्रीय कार्यक्रमों के कार्यान्‍वयन में लोगों को शिक्षित और प्रेरित करने एवं भारतीय तथा विदेशी दर्शकों को भूमि की छवि तथा विरासत प्रदर्शित करने के लिए हैं। यह प्रभाग लघु फिल्‍म आंदोलन की वृद्धि में भी पोषित करने पर लक्षित है जो राष्‍ट्रीय सूचना, संचार तथा समेकन के क्षेत्र में भारत के लिए अत्‍यंत महत्‍व रखते हैं।

प्रभाग द्वारा लघु फिल्‍मों, संखिप्‍त फिल्‍मों, एनिमेशन फिल्‍मों तथा समाचार पत्रिकाओं का निर्माण मुम्‍बई स्थित मुख्‍यालय से और रक्षा तथा परिवार कल्‍याण पर फिल्‍में दिल्‍ली इकाई में तैयार की जाती हैं और कोलकाता एवं बैंगलोर में स्थित क्षेत्रीय निर्माण केन्‍द्रों से ग्रामीण दर्शकों के लिए संक्षिप्‍त काल्‍पनिक फिल्‍में तैयार की जाती हैं। यह प्रभाग देश भर के लगभग 8500 से अधिक सिनेमा हॉलों का आपूर्ति करने के साथ गैर-नाट्य वृत्तों जैसे क्षेत्र प्रचार निदेशालय, राज्‍य सरकारी की चल इकाइयों, दूरदर्शन, परिवार कल्‍याण विभाग का क्षेत्र इकाइयों, शैक्षिक संस्‍थानों, फिल्‍म संस्‍थाओं और स्‍वयंसेवी संगठनों को भी आपूर्ति करता है। राज्‍यों सरकारों की लघु फिल्‍में और समाचार रीलें भी नाट्य वृत्तों में प्रभाग की निर्मुक्तियों में दिखाई जाती हैं। इस प्रभाग में भारत तथा विदेशों को लघु फिल्‍मों और फीचर फिल्‍मों के प्रिंट, स्‍टॉक शॉट्स, वीडियो कैसिट और लघु फिल्‍मों और फीचर फिल्‍मों के वितरण अधिकार की ब्रिकी भी की जाती है। फिल्‍मों के निर्माण के अलावा फिल्‍म प्रभाग अपने स्‍टुडियो, रिकॉर्डिंग थियेटर, संपादन कक्ष और अन्‍य सिनेमा संबंधी उपकरण निजी फिल्‍म निर्माताओं को किराए पर भी देता है।

सूचना और प्रचारण मंत्रालय, भारत सरकार ने लघु फिल्‍मों, संक्षिप्‍त और एनिमेशन फिल्‍मों के लिए एमआईएफएफ आयोजित करने का कार्य फिल्‍म प्रभाग को सौंपा है।

एमआईएफएफ प्रतियोगिता का लक्ष्‍य व्‍यापक ज्ञान में छवियों के योगदान का प्रसार और दुनिया के देशों के बीच आपसी भाईचारे की भावना को लाना है। यह आयोजन फिल्‍म निर्माताओं, फिल्‍म उत्‍पादकों, वितरकों, प्रदर्शकों तथा फिल्‍म आलोचकों को विभिन्‍न देशों से आकर मिलने का एक अनोखा मंच प्रदान करता है जो इस महोत्‍सव के दौरान आपस में अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं। पिछले कई वर्षों से एमआईएफएफ फिल्‍म निर्माताओं के कार्यों को प्रदर्शित करने, अपने विचारों के आदान प्रदान का एक वरीयता प्राप्‍त तथा बहु प्रतीक्षित आयोजन है। एमआईएफएफ ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा 1990 में आरंभ की और तब से यह लघु फिल्‍म आंदोलन के अंतरराष्‍ट्रीय आयोजनों के आकार तक बड़ा हो गया है। द्विवर्षीय एमआईएफएफ में बड़ी संख्‍या में जाने माने लघु फिल्‍म निर्माता तथा संक्षिप्‍त फिल्‍म निर्माता और बुद्धिजीवी, छात्र आते हैं जो भारत के अलावा दुनिया के अन्‍य हिस्‍सों से भी होते हैं। लगभग 35-40 देशों से 500 से अधिक प्रविष्टियां इस महोत्‍सव के प्रत्‍येक संस्‍करण में आती है। संक्षिप्‍त फिल्‍मों, लघु फिल्‍मों और एनिमेशन के लिए एमआईएफएफ के दसवें संस्‍करण का आयोजन 3 फरवरी 2008 को महाराष्‍ट्र सरकार के सहयोग से मुंबई में नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्टस (एनसीपीए) में किया गया।

प्रभाग के संगठन को निम्‍नलिखित चार विंगों में बांटा गया है:

  • उत्‍पादन
  • वितरण
  • अंतरराष्‍ट्रीय लघु फिल्‍म, संक्षिप्‍त और एनिमेशन फिल्‍म महोत्‍सव और
  • प्रशासन

उत्‍पादन विंग

उत्‍पादन विंग निम्‍नलिखित प्रकार की फिल्‍मों के उत्‍पादन के लिए उत्तरदायी है

  • लघु फिल्‍म
  • विशेष रूप से ग्रामीण दर्शकों के लिए बनाई गई छोटी फीचर फिल्‍मे
  • एनिमेशन फिल्‍में और
  • वीडियो फिल्‍म

मुम्‍बई में मुख्‍यालय के अतिरिक्‍त प्रभाग के तीन उत्‍पादन केन्‍द्र बैंगलोर, कोलकाता और नई दिल्‍ली में स्थित है।

कृषि से लेकर कला और वास्‍तुकला, उद्योग से लेकर अंतरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍यों, भोजन से लेकर त्‍यौहारों तक, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल से आवास तक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर खेलों तक, व्‍यापार और वाणिज्यिक से लेकर परिवहन तक, जनजातीय कल्‍याण से लेकर समुदाय विकास तक आदि विषय और विषयवस्‍तुओं को इन लघु फिल्‍मों शामिल किया जाता है। सामान्‍यत: प्रभाग द्वारा देश भर के स्‍वतंत्र निर्माताओं को आबंटन के लिए इसकी उत्‍पादन अनुसूची का 40 प्रतिशत के आस पास भाग आरक्षित किया जाता है, ताकि अलग अलग प्रतिभाओं को प्रोत्‍साहन दिया जा सके और देश में लघु फिल्‍म आंदोलन को बढ़ावा दिया जा सके।

सामान्‍य निर्माण कार्यक्रम के अतिरिक्‍त प्रभाग द्वारा सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों सहित सार्वजनिक क्षेत्र संगठनों को लघु फिल्‍मों के उत्‍पादन में सहायता दी जाती है।

फिल्‍म प्रभाग का न्‍यूजरील विंग मुख्‍य शहरों और कस्‍बों के साथ राज्‍य तथा संघ राज्‍य क्षेत्रों की राजधानियों में फैला हुआ है जो प्रमुख घटनाओं के कवरेज में शामिल है। यह देश के विभिन्‍न भागों में अतिविशिष्‍ट अतिथियों आदि के आगमन और इनकी विदेश यात्रा तथा प्राकृतिक आपदाओं आदि का कवरेज भी करता है। इन कवरेज रीलों का उपयोग पाक्षिक समाचार पत्रिकाओं को बनाने एवं पुरातात्‍विक सामग्री के संकलन में भी किया जाता है।

फिल्‍म प्रभाग की लोकप्रिय कार्टून फिल्‍म इकाई में भी सैल या पुरानी एनिमेशन के स्‍थान पर कंप्‍यूटर एनिमेशन के साथ उच्‍च प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल किया गया है। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में आधुनिक टेक्‍नोलॉजी से लैस यह इकाई अब ओपस, कंसर्टों, हाई एंड तथा माया सहित समुन्‍नत सॉफ्टवेयर के साथ 2-डी तथा 3-डी एनिमेशन का निर्माण कर सकती है।

कमेंटरी अनुभाग में फिल्‍मों तथा समाचार पत्रिकाओं की डबिंग का कार्य किया जाता है जो 14 भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में मूल संस्‍करण (अंग्रेजी/हिन्‍दी) से किया जाता है।

प्रभाग की दिल्‍ली स्थित इकाई को रक्षा मंत्रालय और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण विभाग तथा अन्‍य मंत्रालयों / विभागों के लिए अनुदेशात्‍मक तथा प्रेरणात्‍मक फिल्‍में बनाने का दायित्‍व सौंपा गया है। बदलते हुए परिदृश्‍य को अपनाने के विचार से इस इकाई को वीडियो फिल्‍म बनाने की सुविधा से सज्जित किया गया है।

कोलकाता और बैंगलोर स्थित प्रभाग के क्षेत्रीय केन्‍द्र सामाजिक और राष्‍ट्रीय मुद्दों जैसे परिवार कल्‍याण, सामुदायिक सौहार्द, दहेज, बंधुआ मजदूर, अस्‍पृश्‍ता आदि के संदेश फैलाने के लिए सामाजिक तथा शैक्षिक लघु फिल्‍में भी तैयार करते हैं।

वितरण विंग

वितरण विंग का नेतृत्‍व वितरण के प्रभारी अधिकारी करते हैं और यह कोलकाता, लखनऊ, नागपुर, मुम्‍बई, हैदराबाद, विजयवाड़ा, बैंगलोर, चेन्‍नई, मदुरै और तिरुवनंतमपुरम में स्थित 10 वितरक शाखा कार्यालयों का नियंत्रण भी करते हैं। इन शाखाओं का नेतृत्‍व या तो वरिष्‍ठ शाखा प्रबंधक अथवा शाखा प्रबंधक करते हैं जो कार्यालय प्रमुख के अलावा संबंधित शाखाओं के डीडीओ के तौर पर भी कार्य करते हैं और वे सभी सिनेमा थियेटरों में अनुमोदित फिल्‍मों की आपूर्ति के लिए उत्तरदायी हैं (जो केन्‍द्रीय सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत आवश्‍यक है), करारनामे का निष्‍पदन, फिल्‍म प्रभाग प्रमाणपत्र जारी करना और साथ ही प्रदर्शकों से एक प्रतिशत का किराया जमा करना।

फिल्‍म प्रभाग द्वारा 52 अनुमोदित फिल्‍मों के 262 प्रिंट (कुल 13676) जिन्‍हें एनएफडीसी की 8 फिल्‍मों (कुल 2024 प्रिंट) के साथ देश भर में 8410 सिनेमा गृहों में प्रति सप्‍ताह जारी किए गए हैं, जिनसे मार्च 2008 तक 6,01,42,481 रु. की कमाई हुई है।

वितरण विंग ने स्‍वयं को पुन: परिभाषित किया है और फिल्‍म महोत्‍सवों को राज्‍य और जिला स्‍तर पर एक नियमित गतिविधि बना दिया है, जो स्‍वतंत्र रूप से या गैर सरकारी संगठनों, फिल्‍म संस्‍थाओं, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सहयोग से जन समूह तक पहुंचने और लघु फिल्‍म आंदोलन को प्रोत्‍साहन तथा बढ़ावा देने के लिए आयोजित किए जाते हैं। वितरण शाखा कार्यालयों ने मार्च 2008 तक 50 फिल्‍म महोत्‍सवों का आयोजन किया जो भारत के सबसे दूरदराज के स्‍थानों तक भी पहुंचें। इन फिल्‍म महोत्‍सवों को सभी वर्गों के दर्शकों से प्रशंसा मिली।

फिल्‍म लाइब्रेरी अनुभाग

फिल्‍म प्रभाग की फिल्‍म लाइब्रेरी भारत के समकालीन इतिहास और इसकी समृद्ध विरासत एवं कलापूर्ण परम्‍परा का मूल्‍यवान पुरातात्‍विक खजाना है। इसकी मांग पूरी दुनिया के फिल्‍म निर्माताओं के बीच है। यह स्‍टॉक फुटेज बिक्री के माध्‍यम से राजस्‍व अर्जित करने के अलावा सेवाएं प्रदान कर फिल्‍मों के निर्माण के लिए महत्‍वपूर्ण फुटेज का योगदान देता है। फिल्‍म लाइब्रेरी का कुल संग्रह 8200 शीर्षकों के लगभग 1.9 लाख मदों का है, जिसमें मूल चित्रों के नेगेटिव, डेपू / इंटरनेगेटिव, साउंड नेगेटिव, मास्‍टर इंटर पॉजिटिव, संतृप्‍त प्रिंट, प्री डब साउंड ने‍गेटिव, 16 मि.मी. प्रिंट, लाइब्रेरी प्रिंट और आंसर प्रिंट आदि इन फिल्‍मों को पुरातात्‍विक मूल्‍य के आधार पर सर्वाधिक कीमती, कीमती और सामान्‍य फिल्‍मों की श्रेणी में बांटा गया है। सर्वाधिक कीमती श्रेणी की 1102 फिल्‍मों को उच्‍च परिभाषा के फॉर्मेट में डिजीटल रूप में भंडारित किया गया है और 4213 शीर्षकों को मानक परिभाषा फॉर्मेट में अंतरित किया गया है। यह लाइब्रेरी प्रयोक्‍ता अनुकूल कम्‍प्‍यूटरीकृत सूचना प्रणाली का उपयोग करती है। फिल्‍म लाइब्रेरी के विवरण वेबसाइट पर भी उपलब्‍ध हैं।

प्रशासनिक विंग

प्रशासनिक विंग द्वारा वित्त, कार्मिक, भंडार, लेखा, कारखाना प्रबंधन और सामान्‍य प्रशासन जैसी अनिवार्य सु‍विधाएं प्रदान की जाती हैं। यह विंग वरिष्‍ठ प्रशासनिक अधिकारी के प्रत्‍यक्ष नियंत्रण में है, जिनकी सहायता निम्‍नलिखित अधिकारी करते हैं:

  • सहायक प्रशासनिक अधिकारी, जो कार्मिक प्रबंधन, क्रय, सामान्‍य प्रशासन, सतर्कता और सुरक्षा से संबंधित मामलों की देखभाल करते है
  • वित्त और लेखा के मामलों में आं‍तरिक महोत्‍सव सलाहकार के परामर्श में लेखा

केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड

सिनेमाटोग्राफ अधिनियम 1952 के तहत् स्‍थापित केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड, भारत में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्‍मों का प्रमाणन करता है। बोर्ड में एक अध्‍यक्ष और 25 अन्‍य गैर सरकारी अधिकारी होते हैं। बोर्ड का मुख्‍यालय मुंबई में है और इसके नौ क्षेत्रीय कार्यालय - बैंगलोर, मुंबई, नई दिल्‍ली, कोलकाता, हैदराबाद, चैन्‍नई, तिरुवनंतपुरम, कटक तथा गुवाहाटी में हैं। सलाहाकर पैनल फिल्‍मों की जांच में क्षेत्रीय कार्यालयों की सहायता करते हैं। इन पैनलों में समाज के विभिन्‍न वर्गों के लोग शामिल होते हैं। जानी मानी फिल्‍मी ह‍स्‍ती श्रीमती शर्मिला टैगोर वर्तमान में बोर्ड की अध्‍यक्षा के रूप में कार्यरत हैं।

सिनेमाटोग्राफ अधिनियम 1952 के अनुच्‍छेद 5बी (2) के तहत् केंद्र सरकार द्वारा जारी सांविधिक दिशानिर्देशों का उल्‍लंघन किए जाने के कारण 43 भारतीय और 16 विदेशी फीचर फिल्‍मों के प्रमाणपत्र नामंजूर किए गए। इनमें से कुछ को बाद में संशोधन के बाद प्रमाणपत्र दे दिए गए।

केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 108वीं बैठक हैदराबाद में 27 मार्च, 2006 को हुई। केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 109वीं बैठक बैंगलोर में 31 जुलाई, 2006 को हुई। केंद्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड के सदस्‍यों की 110वीं बैठक पुडुचेरी में 17 दिसंबर, 2006 को हुई। सभी बैठकों श्रीमती शर्मिला टेगौर जो बोर्ड की अध्‍यक्षा के सामने हुई।

फिल्‍मों के निरीक्षण के लिए सलाहकार पैनल के सदस्‍यों के लिए कार्य गोष्‍ठी का आयोजन किया गया। सलाहकार पैनल के सदस्‍यों तथा निरीक्षण अधिकारियों के लिए पिछले वर्ष विभिन्‍न क्षेत्रीय केंद्रों में कार्य गोष्ठियां आयोजित की गई। इस दौरान फिल्‍मों के निरीक्षण से संबद्ध विभिन्‍न मुद्दों पर चर्चा की गई और फिल्‍मों को प्रमाणपत्र देने संबंधी विभिन्‍न दिशानिर्देशों को समझाने के लिए कुछ चुनिदां फिल्‍मों से काटे गए हिस्‍से दिखाए गए। इन कार्य गोठिष्‍यों में अनुशासन और आचार संहिता पर अमल की आवश्‍यकता पर बल दिया गया।

सिनेमेटोग्राफ अधिनियम के तहत् न तो बोर्ड और न ही केंद्र सरकार के पास फिल्‍मों के प्रदर्शन के समय बोर्ड के फैसले लागू करने का अधिकार है। यह अधिकार राज्‍य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को दिया गया है। बोर्ड ने फिल्‍मों में अंतर्वेशन की पहचान को व्‍यवस्थित करने के समय-समय पर प्रयास किए हैं। वर्ष के दौरान सभी नौ क्षेत्रों में प्रतिबंधों का उल्‍लंघन रोकने में प्राइवेट जासूसी एजेंसियों की मदद ली गई।

वर्ष 2006 में जनवरी से दिसंबर तक फिल्‍मों में विभिन्‍न स्‍थानों पर अंतर्वेशन 46 मामले सामने आए और इनकी जांच रिपोर्ट संबंधित न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट को आवश्‍यक कार्रवाई के लिए भेजी गई।

सीबीएफसी का कार्यभार विभिन्‍न चैनलों की फिल्‍मों के प्रमाणन के कारण बढ़ता गया है, जैसा कि मुम्‍बई उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय में बताया गया। वीडियो फिल्‍मों के प्रमाणन में वृद्धि 2005 में 4188 से बढ़कर 2006 में 7129 हो गई है। लक्ष्‍य और समय सीमाओं को पूरा करने के लिए प्रमाणन कार्य में तेजी लाने हेतु सीबीएफसी के विभिन्‍न क्षेत्रों में सीबीएफसी ने विभिन्‍न सेटेलाइट चैनलों के कार्य को वितरित किया है। फिल्‍मों के कार्य के निपटान हेतु केन्‍द्रीय सरकार के कार्यालयों से अतिरिक्‍त जांच अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है।

राष्‍ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड

राष्‍ट्रीय फिल्‍म विकास निगम लिमिटेड की स्‍थापना 1975 में हुई थी। वर्ष 1980 में भारतीय चलचित्र निर्यात निगम और फिल्‍म वित्त निगम के विलय के बाद इसका पुनर्गठन किया गया। इस निगम का मुख्‍य उद्देश्‍य भारत में सिनेमा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और श्रव्‍य-दृश्‍य तथा संबंधित क्षेत्रों में अति आधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करना है। निगम की मुख्‍य गतिविधियों में शामिल हैं: सामाजिक दृष्टि से उपयुक्‍त विषयों पर रचनात्‍मक व कलात्‍मक उत्‍कृष्‍टता वाली और प्रायोगिक स्‍वरूप वाली बढ़िया फिल्‍मों का वित्त पोषण और निर्माण तथा विभिन्‍न माध्‍यमों से फिल्‍मों का‍ वितरण व प्रसार। राष्‍ट्रीय फिल्‍म विकास निगम उद्योग को नवीनतम प्रौद्योगिकी के अनुरूप आवश्‍यक निर्माण पूर्व और निर्माण पश्‍चात बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध कराता है। यह फिल्‍म समितियों, राष्‍ट्रीय फिल्‍म सर्किल सप्‍ताहों, भारतीय फिल्‍मों की झांकी और फिल्‍म समारोहों के आयोजन से फिल्‍म संस्‍कृति और फिल्‍मों की समझ विकसित करने के प्रयास करता है।

एनएफडीसी गुणवत्‍ता, विषय वस्‍तु और निर्माण मूल्‍यों दृष्टि से उत्‍कृष्‍ट, कम बजट की फिल्‍मों की अवधारणा को बढ़ावा देता है।

एनएफडीसी वेणु निर्दशित निगम की पिरनामम (मलयालम) को अशदोद अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह इज्रराइल में सर्वश्रेष्‍ठ पटकथा के लिए अंतरराष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला।

निगम ने सीआईआई के साथ मिलकर आईएफएफआई के दौरान गोवा में फिल्‍म बाजार का आयोजन किया।

एनएफडीसी द्वारा स्‍थापित सिने कलाकार कल्‍याण कोष भारतीय फिल्‍म उद्योग का सबसे बड़ा ट्रस्‍ट है। इसका संग्रहित कोष 4.48 करोड़ रुपए हैं।

फिल्‍म समारोह निदेशालय

फिल्‍म समारोह निदेशालय की स्‍थापना 1973 में की गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन इस निदेशालय का उद्देश्‍य, अच्‍छे सिनेमा को प्रोत्‍साहन देना है। इसके लिए यह निम्‍न वर्गों के तहत् अपनी गतिविधियों का संचालन करता है:

  • अंतरराष्‍ट्रीय भारतीय फिल्‍म समारोह।
  • राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार तथा दादा साहेब फाल्‍के पुरस्‍कार।
  • सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम तथा विदेशों में शिष्‍टमंडलों के ज़रिए भारतीय फिल्‍म प्रदर्शन का आयोजन।
  • भारतीय पनोरमा का चयन।
  • विदेशों में अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोहों में भागीदारी।
  • भारत सरकार की ओर से विशेष फिल्‍मों का प्रदर्शन।
  • प्रिंट संग्रहण तथा अभिलेखन।

ये गतिविधियां, सिनेमा के क्षेत्र में भारत और अन्‍य देशों के बीच विचारों, संस्‍कृति तथा अनुभव के आदान-प्रदान के लिए बेजोड़ मंच प्रदान करती हैं। ये भारतीय सिनेमा को सशक्‍त मंच प्रदान करती हैं तथा भारतीय फिल्‍मों के लिए व्‍यावसायिक अवसरों को बढ़ावा देती हैं। देश के भीतर इसने विश्‍व सिनेमा की नवीनतम प्रवृत्तियां आम जनता, फिल्‍म उद्योग तथा विद्यार्थियों तक पहुंचने का काम किया है।

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स्रोत: राष्‍ट्रीय पोर्टल विषयवस्‍तु प्रबंधन दल

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